Face to Face Teaching
कोविड महामारी के कारण बी.एड पाठ्यक्रम के स्कूल इंटर्नशिप चार भागों में विभक्त किया गया था । इसमें दूसरा भाग था - फेस टू फेस टीचिंग । गूगिल मीट के सहारे हम छात्राध्यापिकाओं ने बीस छात्रों केलिए शिक्षा देना था। मैंने अञ्चालुमूड़ स्कूल के छात्रों को कक्षा ली। कक्षा लेने से पहले कुछ शिक्षण सामग्रियों को खरीदना था । जैसे कि श्यामपट, ट्राइपॉड, तालिका आदि । यह सभी शिक्षण सामग्रियाँ बच्चों को एक बेहतरीन अनुभव पैदा करेंगे ।पूरे 10 पाठयोजना फेस टू फेस टीचिंग केलिए लेना था । इसकेलिए मैंने आठवी कक्षा के 'इन्द्रधनुष धरती पर उतरा ' नामक चित्रकथा और एक 'सफ़ेद गुड ' नामक कहानी ली थी। पहली कक्षा में थोड़ी तकनीकी बाधाएँ थी। कुछ छात्रों को नेट की समस्याएँ भी थी। निशाजी और अश्वती जी मेरी पूरी कक्षा निरीक्षण केलिए कक्षा में बैठती थी। फेस टू फेस टीचिंग के माध्यम से मैंने अपनी शिक्षण रीति में सुधार ले आयी जैसे कि दृश्य श्रव्य माध्यमों का उपयोग, गतिविधियाँ देना यह सभी कार्य गूगिल मीट द्वारा भी मुझे संभव हुआ ।
मुझे फेस टू फेस टीचिंग से बहुत सारे जानकारियाँ पता हुई । अध्यापकों द्वारा दी गयी फोड़बॉक जैसे तकनीकी समस्याएँ, चेहरे में प्रसन्नता आदि अगली कक्षा लेने केलिए मदद की। उनकी सारी मत मैं अपनी कक्षा और बहतरीन बनाने केलिए प्रयोग किया। उसके साथ ही मेरी क्षमताओं को इसके द्वारा पहचाने में अवसर मिला । मुझ मैं क्या कमियाँ है और क्या खूबियाँ है यह सारी बातें फेस टू फेस टीचिंग से पता चलता है। अपनी प्रिय अध्यापकों और छात्रों की सच्ची फीडबॉक मुझे अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने केलिए मदद की । एक बहुत अच्छा अनुभव था।
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